नमस्कार दोस्तो,पवित्र गिरनार क्षेत्र मे कई देवी-देवता,रुषी-मुनीओ,सिद्ध-महात्माओ के कई मंदिर और जगहें हैं। इन सभी पावनकारी और मंगलकारी जगह मे एक जगह हैं “दामोदर कुंड”। जुनागढ शहर से गिरनार तलहटी की और आते हुए मुख्य मार्ग पर प्रसिद्ध और पवित्र दामोदर कुंड हैं,जो सोनरख नामक नदी के बिच मे स्थित हैं। भगवान श्री क्रिष्णा के अनन्य भक्त कवि श्री नरसिंह महेता ने कई बार भक्ति प्रेम से बारंबार भगवान श्री क्रिष्णा को आशिर्वाद देने के लिए विवश कीया था। जब भी भगवान श्री क्रिष्णा का सामीप्य चाहते तब श्री नरसिंह महेता दामोदर कुंड मे पहले स्नान करते और भगवान श्री क्रिष्णा को पुकारते थे। गिरनार जाने वाले सभी यात्रालु,श्रद्धालु,दर्शनार्थी,पर्यटक दामोदर कुंड मे स्नान अवश्य करते हैं। माना जाता हैं की जब तक आप दामोदर कुंड मे स्नान नहि करते तब तक आपकी गिरनार की यात्रा चाहे किसी भी वजह से हो वो अधुरी रहती हैं। बिना दामोदर कुंड मे स्नान कीये बगैर आपकी यात्रा अधुरी मानी जाती हैं। दामोदर कुंड पवित्र गिरनार की एक मुख्य जगह हैं,जो एक पौराणिक स्थल हैं। किनारे पर ‘राधा दामोदर मंदिर’ और ‘रेवती-बलदेव मंदिर’ मुख्य मंदिर हैं। दामोदर कुंड मे अस्थी विसर्जन और तर्पण जैसी क्रियाओ का विशेष महत्व हैं। दामोदर कुंड मे गिरायी गई अस्थीयां बिलकुल गल जाती हैं,एसी एक मान्यता भी प्रचलित हैं। दोस्तो,क्या हैं दामोदर कुंड का महत्व?,क्या हैं दामोदर कुंड की कहानी?क्यों हैं दामोदर कुंड मे स्नान करना जरुरी? यह सब जानते हैं एक संक्षिप्त कथा से!
दामोदर कुंड का महत्व। दामोदर कुंड की कथा। दामोदर कुंड जानकारी।Damodar Kund ka Mahatva।Damodar Kund ki Katha। Damodar Kund jankari
पौराणिक कथाओ के अनुसार एक बार ब्रह्माजी ने यग्य करने के लिए सभी मुनी,तपस्वी और देवो को आमंत्रित कीया।सभी ने स्नान के लिए अपने अपने तीर्थजल की ईच्छा जताई,तब प्रजापति ब्रह्माजी ने समस्त संसार के सभी तीर्थजल को एक ही जगह आमंत्रित कर,एक ही जगह ईकठ्ठा कीया और अपने कंमडल मै से गंगाजी को भी उन सभी तीर्थजल मे मीलाया। उस दिन से वह जगह पर गंगा,यमुना,सरस्वती,कावेरी,नर्मदा,क्षिप्रा,चर्मणवती,वेदीका,गंडकी,सरयु,गोदावरी,तापी सहित सभी नदीयां एवं समस्त तीर्थजल और ब्रह्माजी,विष्णुजी,शिवजी,ईन्द्र जैसे देवताओ सदा के लिए निवास हो गया। प्रजापति ब्रह्माजी के कारण यह सभी संभव हुआ इसलिए यह स्थल ‘ब्रम्हकुंड’ कहलाया। यग्य समाप्ती के बाद जब सभी देवता जा रहे थे तब ब्रह्माजी ने भगवान श्री हरी विष्णु को उस तीर्थ स्थल पर लक्ष्मिजी सहित निवास करने का वचन मांगा,जीस वजह से भगवान श्री हरी विष्णु और मां लक्ष्मिजी ‘राधा-दामोदर’ स्वरुप मे बिराजमान हो गयें और दामोदर भगवान के कारण यह कुंड दामोदर कुंड कहलाया। जो भी मनुष्य पवित्र भाव से,शुद्ध मन से एक घडी के लिए भी यह तीर्थ मे निवास करता हैं,वो देवपद प्राप्त करता हैं। महात्माओ का कहना है की,गोमती द्वारका मे विसर्जित अस्थी चक्ररुप हो जाती हैं,गंगाजी मे विसर्जित अस्थी शेवाळ रुप हो जाती हैं,पर दामोदर कुंड मे गीरी अस्थी बिलकुल गल जाती हैं। शास्त्रो मे कहा गया हैं की, दामोदर कुंड समान कोई तीर्थ नहि हैं और होगा भी नहि। जब कार्तिक सुद पुर्णिमा को दोपहर जब भगवान श्री हरी विष्णु का संयोग होता हैं तब यहा स्नान करने से हर कदम पर अश्वमेघ यग्य का फल मीलता हैं।
दामोदर कुंड पर क्या कर सकते हैं।What to do at Damodar Kund
दामोदर कुंड गिरनार की खास और पवित्र जगहो मे मुख्य जगह हैं,जब भी आप गिरनार की यात्रा करे,चाहे यात्रा का कारण मेला या खास पूजा,विधि-विधान हो या फिर कोई अन्य कारण से दामोदर कुंड मे स्नान जरुर करें। हिंदु सनातन धर्म के गिरनार क्षेत्र मे आने वाले सभी श्रद्धालु भक्त दामोदर कुंड मे समस्त संसार के सभी तीर्थजल और पवित्र नदीयां का स्मरण-आहवान कर प्रेम पुर्वक स्नान करते हैं और भगवान श्री हरी विष्णु पापो का नाश करने हेतु प्रार्थना करते हैं। स्नान करने के बाद श्रद्धालु, दर्शनार्थी, भक्त ‘राधा-दामोदर’ मंदिर मे शुद्ध जल,तुलसीदल,और अन्य पूजा सामग्री से भगवान दामोदरजी का दर्शन और पुजन करते हैं। साथ ही अपनी ईच्छा अनुसार ब्राह्मण,पंडित या जरुरीयातमंद को दान-दक्षिणा देते हैं।
नम्र निवेदन।humble request:
सभी श्रद्धालु,पर्यटक और यात्रीओ ध्यान रखे की भवनाथ तलहटी-गिरनार तलहटी मे आपको रुकने,रहने,खाने के लिए कई धार्मिक संस्थाओ और सेवाभावी व्यक्ति,परिवारो,समाजो द्वारा आश्रम चलाये जाते हैं। जहा रुकने की बेहतरीन व्यवस्था और खाने की उत्तम व्यवस्था होती हैं,तो आप वहा ही रुकने,खाने को प्राथमिकता दैं। यह सभी व्यवस्था निशुल्क होती हैं। आप जब भी ऐसे आश्रम या पंडाल मे रुके या खाये तब वहा की सभ्यता-संस्कृति का आदर सम्मान जरुर करे,ऐसी सेवा मे उनका सिर्फ एक ही मतलब होता हैं “महेमान भगवान होता हैं,भुखे को अन्न,प्यासे को पानी,जन सेवा वही प्रभु सेवा। अच्छे बर्ताव से कृपया उनका सहयोग करे,होसला बढाये।
गिरनार कैसें पहुचे।Girnar kaise pahuche।How to reach Girnar
गिरनार पहुचने के लिए आपको जुनागढ शहर को ध्यान मे रखना पडेगा क्योकी गिरनार पर्वत जुनागढ शहर से 4km दुरी पर स्थित हैं।
हवाई मार्ग से कैसे पहुचे।How to reach by air
जूनागढ़ का अपना हवाई अड्डा नहीं है और निकटतम हवाई अड्डा राजकोट,पोरबंदर और केशोद हवाई अड्डे हैं। राजकोट और पोरबंदर हवाई अड्डों पर मुंबई से सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं। जूनागढ़ पहुंचने के लिए हवाई अड्डों के बाहर से टैक्सिया या बसों द्वारा आप जुनागढ पहुच सकते हैं।
राजकोट हवाई अड्डा 103km,पोरबंदर हवाई अड्डा 113km,केशोद हवाई अड्डा 40km
सड़क मार्ग से कैसे पहुँचे।How to reach by road
नियमित बस सेवा से जूनागढ़ गुजरात के अन्य स्थानों से जुड़ा हुआ है जैसे अहमदाबाद, भुज, भावनगर, द्वारका, सोमनाथ,पोरबंदर और राजकोट,वडोदरा,सुरत,मुंबई इन शहरों से जूनागढ़ पहुचने के लिए निजी और GSRTC वाली दोनों तरह की बसें कार्यरत हैं।
रेल मार्ग से कैसे पहुँचे।How to reach by rail
जूनागढ़ जंक्शन स्टेशन, जो शहर के केंद्र से लगभग 1 किमी दूर स्थित है,मुंबई,राजकोट,अहमदाबाद, तिरुवनंतपुरम,पुणे और जबलपुर जैसे स्थानों से ट्रेन सेवा उपलब्ध है।
दोस्तो,अगर आप पर्यटन के शौखीन है,शिवभक्त हैं,जैनधर्मी है,हिंदु संस्कृति के चाहने वाले हैं या सौराष्ट्र के लोगो के बारे मे जानना चाहते हैं तो,साहब एक बार आप गिरनार जरुर जाये। दोस्तो,आशा रखता हु यह कुछ जानकारी आपको पसंद आयी होगी,साथ ही कामना करता हु आपकी यात्रा आनंदमय,मंगलमय हो।आप जहा भी यात्रा करे पर्यावरण का,स्वच्छता का ध्यान रखे और वहा की सभ्यता-संस्कृति का आदर सन्मान जरुर करें।
(वास्तविक यात्रा और स्थानिक लोगो जैसे,स्थानिक दुकानदार,स्थानिक गाईड,स्थानिक पर्यटक से मीली जानकारी के आधार पर।अगर इस आर्टिकल मे कही कोई भुल,क्षति,गलती हो तो कोमेंट के जरीए जरुर मेरा मार्गदर्शन कर सकते हैं।धन्यवाद।)